A poem that randomly burst out of my heart today. I didn't want to miss the opportunity to pen it, so that i shall cherish it the rest of my times..
ये केसी कशिश थी तुम्हारी, छोड़ गई एक कसक दिल में,
रूह में कर गई एक छेद, जो ना भरे, ना गड़े,
बस धसता चला जाय अंदर, जेसे बिखरा कोई शीशा गिरे आवारा,
काले बदल का अक्स आवारा , उडती फिजा का शोर आवारा,
एक उड़ता परिंदा भी उड़े आवारा, मन पे ना चले कोई जोर आवारा ||
-Maverick